147. काचिद् अध्यापिका स्वकक्षां चतुण्र्णां समूहेषु विभाजयति तथा छात्रै: पठिते पाठ्यविषये वाद-विवादं कारयति। भाषाशिक्षणस्य अयं कीदृश: क्रियाविधि: अस्ति।
1. परिणाम (निगमन) क्रियाविधि: (Output Activity)
2. सम्पर्कात्मकक्रियाविधि: (Interactive)
3. निवेश-प्रतिक्रिया (Input response)
4. परिणामप्रतिक्रिया (Output response)
Click To Show Answer
Answer – (3)
कोई अध्यापिका अपने कक्षा को चार समूहों में विभाजित करती है तथा छात्रों को पढ़ाये गये विषय पर वाद-विवाद करवाती है। भाषा शिक्षण की यह ‘निवेश-प्रतिक्रिया’ विधि है। शिक्षण एक संश्लिष्ट और जटिल प्रक्रिया है जिसके द्वारा विशिष्ट वांछनीय परिवर्तन लाने के लिए पूर्व निर्दिष्ट उद्देश्यों को केन्द्र में रखते हुए पाठ्यक्रम को निर्धारित किया जाता है। अध्यापक के सान्निध्य में विद्यार्थियों को जो विभिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं, वे अपने आप में अधिगम अवसर प्रदान करते हैं। वाद-विवाद के माध्यम से शिक्षण कार्य करना, आज के समय का एक अनिवार्य अंग बन गया है क्योंकि इसमें विद्यार्थी सक्रियभूमिका निभाते हैं।
कोई अध्यापिका अपने कक्षा को चार समूहों में विभाजित करती है तथा छात्रों को पढ़ाये गये विषय पर वाद-विवाद करवाती है। भाषा शिक्षण की यह ‘निवेश-प्रतिक्रिया’ विधि है। शिक्षण एक संश्लिष्ट और जटिल प्रक्रिया है जिसके द्वारा विशिष्ट वांछनीय परिवर्तन लाने के लिए पूर्व निर्दिष्ट उद्देश्यों को केन्द्र में रखते हुए पाठ्यक्रम को निर्धारित किया जाता है। अध्यापक के सान्निध्य में विद्यार्थियों को जो विभिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं, वे अपने आप में अधिगम अवसर प्रदान करते हैं। वाद-विवाद के माध्यम से शिक्षण कार्य करना, आज के समय का एक अनिवार्य अंग बन गया है क्योंकि इसमें विद्यार्थी सक्रियभूमिका निभाते हैं।